“बूढ़े बाबा की अलमरी “
एक अलमरी थी, एक बूढ़े बाबा की पुरानी सी, मकान के एक कमरे में, वो सजी हुई रखी थी, पहली तनखा की वो कहानी थी... कभी वो जवान हुआ करती…
एक अलमरी थी, एक बूढ़े बाबा की पुरानी सी, मकान के एक कमरे में, वो सजी हुई रखी थी, पहली तनखा की वो कहानी थी... कभी वो जवान हुआ करती…