कभी खुद से बातें की है?
ज़रा कर के देखो
एक अरसा एक पल में गुज़र जाएगा
पर बातें खत्म न होंगी,
कई किस्से निकलेंगे
जो साथ गुज़ारे है तुमने,
कुछ चटपटे से होंगे
तो कुछ थोड़े कड़वे से,
कभी नयन से
खारा पानी उमड़ेगा,
तो कभी हँसी फूटेगी
उस वक़्त गूंज बन कर,
अफ़सोस भी होगा दोनों को
कई कोशिशो पर,
और ख़ामोशी से यूँही
वो पल घिर जाएगा..
किस्सों का काफिला यूँही
आगे बढ़ते जाएगा,
और चलते–चलते तुम्हें
खुद का साथ फिर मिल जाएगा,
कभी खुद से बातें की है
ज़रा कर के देखो
यादों का ज़ख़्म
फिर से भर जाएगा।