जब मेरा ख़ून जलता है
वो बिकाऊ मीडिया, आदमी के बनाए समाज की रीतियाँ, Fake feminists, वो फ़िजुल के human rights और तरह-तरह के NGO की खुदगरजियाँ, वो भूखे celebrities की बिन जाने हर बात…
वो बिकाऊ मीडिया, आदमी के बनाए समाज की रीतियाँ, Fake feminists, वो फ़िजुल के human rights और तरह-तरह के NGO की खुदगरजियाँ, वो भूखे celebrities की बिन जाने हर बात…
* रेत का मकान वो बच्चा रेत का मकान बनाता समुन्दर आता और उसे तोड़ जाता, यह शिलशिला यूँही चलता रहा मकान बनता और बिगड़ता रहा , मगर कुछ वक़्त बाद बच्चा…
दो बच्चे माटी में खेल रहे थे, एक ने मिट्टी का मंदिर तो दूसरे ने मस्जिद बनाया , फिर दोनो के बीच में एक दीवार भी उठाया, एक ने श्री राम का…
वो मोहल्ले की गलियाँ जिन्हें अपने नन्हें क़दम से नापा करती थी, वो मकान की दीवारें जिस पर कलम से लकीरें खिंचा करती थी, वो माँ की बरनियाँ जिससे मुरब्बा…
1.पहला ख़याल मैंने मोहब्बत की है तुम्हें पाने की ज़िद नहीं, तुम मेरी तख़्लीक़ का पहला ख़याल हो कोई आदत नहीं, दूरियों से ख़ामोशी में की गई मोहब्बत भी किसी से…
वो जानती है मुझे और मैं भी उसे, मुलाक़ात हुई नहीं कभी, पर एक दूसरे को हम फ़ॉलो(Follow) किया करते हैं, किस जहान से है, किस तरह से है, किस…
1. पंखों को तो टूटना ही था, तुमने लोगों की सोच का बोझ जो इस पर डाल दिया था। 2. जिस्म को बाँधा जा सकता है मगर जो ख़यालों को…
1. "बारिश" घर से निकलते ही, यादों की जोरों से बारिश होने लगी, छतरी मैंने साथ नहीं रखी थी, पूरा ही भीग गया, कुछ बूँदे मखमली चादर ओढ़े हुई थी ,…
अब आदत हो गई थी उसे, किवाड़ खुलने पर, अब वो सहमा नहीं करती थी, रात भर गोश्त के टुकड़े सी वो पड़ी रहती थी, कुत्ते आते और चाट जाते…
ज़ोर-ज़ोर से बातें कर रही है , शायद सच ही कह रही है आवाज़ जो इसकी इतनी ऊँची है, इसके माथे पर बड़ी सी बिंदी है, स्कॉर्फ़ पशमीना है शायद,…